देश में दवाओं की बड़ी मांग शुरू
ऑल इंडिया कैमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के सदस्य प्रियांस गुप्ता ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में बताया कि पिछली बार की तरह इस बार भी दवाओं की बड़ी मांग शुरू हो गई है. कुछ दवाएं नई है, जो बाजार में आई है. उन्होंने कहा कि जिस हिसाब से केस बढ़ रहे हैं, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में दवाओं की किल्लत हो सकती है. प्रियांस ने बताया कि इस बार दो दवाओं की सबसे अधिक मांग है, उनमें से एक है कोविड किट. कोविड किट के माध्यम से आप घर बैठे महज दस मिनट में आप कोविड का टेस्ट कर सकते हैं. हाल ही में इस किट को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लॉन्च किया है. इस किट की डिमांड सबसे अधिक है. इससे लोगों को अस्पताल जाने की नौबत नहीं आ रही है.
डॉक्टरों ने इस बात का दावा किया है कि यदि कोई मरीज कोरोना से संक्रमित होता है तो एक ऐसी दवा है जिसके सेवन से मरीज जल्द ही निगेटिव हो जाता है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में मोनलूपीरावीर दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है. बाजार में इसकी कीमत 2490 रुपए है. दावा ये किया जा रहा है कि जैसे ही मरीज में कोरोना के संक्रमण का पता चले फौरन उसे मोनलूपीरावीर की दवा दी जाए तो मरीज जल्द ही निगेटिव हो जाता है.
प्रियांस गुप्ता ने बताया कि पिछले 6 दिनों से अचानक से दवाओं की मांग बढ़ी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल तो अधिकतर दवाएं स्टॉक में हैं, लेकिन जिस तरह से दवाओं की मांग बढ़ रही है उसे देखकर ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि दवाओं की कहीं कमी ना हो जाए. दिल्ली में बहुत ही तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर से बढ़ रहे हैं.
प्रियांस ने बताया कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में जिन दवाओं की सबसे अधिक मांग थी, उनमें रेमडेसिवीर जो कि एंटीवायरल दवा है, जिसे सबसे पहले 2014 में इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया था वो थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रायल में इस दवा को Covid-19 के कारगर इलाज माना था. हालांकि भारत में इसे अस्पतालों तक की सीमित किया गया था. दूसरी दवा टोसिलीज़ुमाब औऱ फेवीपिरवीर थी. प्रियांस ने बताया कि इस बार फेवीपिरवीर, टोसिलीज़ुमाब और रेमडेसिविर की डिमांड अभी नहीं है, लेकिन डॉक्सीसाइक्लिन, आइवरमेक्टिन, पारासीटामोल, विटामिन सी और मल्टीविटामिन की दवा की मांग अभी भी है. मध्य प्रदेश के ये आंकड़े बता रहे हैं कि यहां इंदौर में कोरोना हॉटस्पॉट बन चुका है. भोपाल में भी आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. यहां एम्स और आइशर हेल्थ सेंटर में 10-10 डॉक्टर पॉजिटिव आए हैं.
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