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दो बहनों को कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा, पहले सुनाई थी फांसी अब बदला फैसला, जानिए वजह

 बंबई उच्च न्यायालय  ने मंगलवार को कोल्हापुर की उन दो बहनों (रेणुका शिंदे और सीमा गावित) की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया, जिन्हें 1990 से 1996 के बीच 14 बच्चों का अपहरण करने और इनमें से पांच की हत्या करने के अपराध में कोल्हापुर की एक अदालत ने दोषी करार दिया था।



किस वजह से बदला फैसला?

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ (Bench) ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने दोनों महिलाओं की मौत की सजा पर अमल में अत्यधिक विलंब किया है जबकि राष्ट्रपति के समक्ष दाखिल उनकी दया याचिका (Mercy Petition) 2014 में ही खारिज (Dismissed) हो गई थी. पीठ ने कहा कि ऐसी देरी कर्तव्यों के निर्वहन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार का 'ढीला रवैया' उजागर करती है और इसी वजह से दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलना पड़ा है।

दया याचिका की थी दायर

रेणुका शिंदे और सीमा गावित अक्टूबर 1996 से हिरासत (Custody) में हैं. उन्होंने 2014 में उच्च न्यायालय से अपनी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की अपील की थी. इस बाबत दोनों ने उनकी दया याचिकाओं के निस्तारण (Disposal) में बेवजह होने वाले विलंब का हवाला दिया था. शिंदे और गावित ने दावा किया था कि ऐसा विलंब जीवन जीने के उनके मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) का हनन करता है. इस याचिका में दोनों महिलाओं ने कहा था कि उच्च न्यायालय (High Court) और उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के उनकी मौत की सजा पर मुहर लगाने के बाद वे 13 साल से भी अधिक समय से पल-पल मौत के डर के साए में जी रही हैं।

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