Breaking News

1 मई को मनाया जता है मजदूर दिवस, लेकिन 72 साल बाद देखिये आज के मजदूर की हालत

दोस्तो हम आपको बता दें कि भारत में पहली बार 1 मई 1923 में मजूदर दिवस मनाया था

आज का मजदूर
आजादी के बाद और आजादी के 72 सालों बाद मजदूर का जीवन बदल चुका है। उसके जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आया लेकिन उसके काम में बदलाव जरुर आया है। जब भारत में मजदूर आंदोलन की शुरुआत हुई तब किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि मजदूरों की समस्याएं सारी जिंदगी, दशकों तक एक सी ही रहने वाली है। आज भी मजदूर शोषण का शिकार होते हैं। 8 घंटे से ज्यादा काम करते हैं और न्यूनतम आय से भी कम पर अपना गुजारा करते हैं।

भारत में फैक्ट्री एक्ट आया। कई मजदूर यूनियन बनी लेकीन सुधार कहां हुआ, इसका जवाब किसे के पास नहीं है। फैक्ट्री एक्ट ने कुछ नियम बनाए लेकिन वो सभी कागजी हैं। जमीनी तौर पर अगर आज भी किसी फैक्ट्री में जा कर देखा जाए तो असलियत बेहद चौंकाने वाली है। जितने भी आंदोलन चले और चलाये जाते हैं उनसे किस मजदूर का भला हो पाया है इसका कहीं कोई लेखा-जोखा नहीं है।

लॉकडाउन में फंसा मजदूर
कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में देशभर के राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर आज क्या कर रहे हैं। इन मजदूरों के पास खाने-पीने के लाले हैं। लॉकडाउन शुरू होने पर किस तरह से ये प्रवासी मजदूर पैदल अपने घरों को निकल पड़े थे, ये हम सभी ने देखा है। कुछ मजदूर इस आस में चल बसे की वो पैदल घर पहुंच कर अपने परिवार संग रह पाएंगे लेकिन ऐसा हो न सका।

सरकार ने प्रयास किए लेकिन ये प्रयास प्रयोग भर थे जिसने मजदूरों की जान तक ले ली। सरकार का हमेशा से मजदूर वर्ग की तरफ उदासीन नज़रिया रहा है। नोटबंदी, आधार कार्ड, योजनाएं, मनरेगा और भी बहुत कुछ ऐसा रहा जो सरकार ने मजदूरों के लिए किया लेकिन उसमें मजदूर हित शामिल नहीं था। भले ही सरकार आज घर भेजने के लिए मजदूरों को बसें दे रही है लेकिन उनका क्या जो घर पहुंचने की उम्मीद में दुनिया को अलविदा कह गये। आज मजदूर दिवस पर उनका परिवार उन्हें याद करेगा!


No comments