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इस तरह निभाएं एक भाई की जिम्मेदारी

भाई-बहन का रिश्ता सबसे मजबूत माना जाता है। यहां तक कि ये बंधन मरते दम तक नहीं टूटता। मगर हर रिश्ते की जिम्मेदारी होती है। जिसको दोनों मिलकर निभाते हैं, तभी ये रिश्ता चलता है।

बहन अपने भाई का हर कदम पर साथ देती है। मगर बहन की बारी आने पर कई भाई अपनी बहन की इच्छा की परवाह नहीं करते। जिन चीजों से उन्हें खुशी मिलनी होती है उसे ही छीनने की कोशिश करते हैं। जबकि उसी काम को वो लड़का होने के नाते पूरे हक से करते हैं।

भारतीय समाज में बहन की रक्षा करने का धर्म भाई का होता है। एक भाई को ऐसा करना भी चाहिए। लेकिन उसकी रक्षा करने के नाम पर उसके मौलिक अधिकार या आजादी को छीन लेना कितना सही है? यह सवाल एक लड़के को खुद से करना चाहिए। एक लड़की ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मेरा भाई पहले मुझे एक कैदी की तरह रखता था लेकिन बाद में जब मैं घर-परिवार से लड़ी तब उसको मेरी इच्छाओं के बारे में पता चला। इसके बाद वह मुझे समझने लगा।’

वह आगे कहती है, ‘मेरी कई दोस्त हैं जिनपर उनके भाईयों का हक है। वे उनके साथ अभी भी उसी तरह बर्ताव करते हैं जैसे पुराने जमाने में होता था। हम लड़कियों को समाज से ही नहीं बल्कि अपनों से लड़ना है। हमें कोई बिना बोले समझ क्यों नहीं पाता। पता नहीं क्यों हमें उनको यह बात समझाने की जरूरत पड़ती है। जबकि, लड़कों को इन्हीं बातों के लिए घर-परिवार से आजादी मिल जाती है।’

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