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गुलाब से भी होता है कई बीमारी का उपचार, जाने वह कोन कोन सी बीमारी है

प्राचीन काल से ही फूलों के रस का विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं, रोगों व घरेलू कामोंमें उपयोग होता रहा है. प्रकृति ने हमें 4 लाख से भी ज्यादा फूलों की किस्में दी हैं।

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यह मुख संबंधी रोग, नाक-कान से खून बहने की बीमारी, जलन, प्यास लगने, विष, उल्टी आना, खूनी दस्त जैसी बीमारियों में अच्छा होता है. गुलाब वातपित्त कम करने, खांसी, अल्सर, मुंह की दुर्गंध, सांस की बदबू, बदहजमी, पेट फूलना, पेट दर्द, दिल रोग, हर्पिज, बवासीर एवं सामान्य शारीरिक कमजोरी में लाभदायक है।

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गुलाब के फूलों का अर्क निकालकर सुबह-शाम गरारा करने से मुंह की सूजन, सांस की बदबू, गले के दर्द में आराम मिलता है. गुलाब के पत्तों को चबाने से भी मुंह व होंठों की सूजन कम होती है।

सिर के फोड़े-फुंसी एवं घाव को अच्छा करने में भी गुलाब सहायक होता है. गुलाब के पत्तों को पीसकर लेप करने से सिर में होने वाले घाव, मोतियाबिंद, दंतरोग व पाइल्स में फायदा मिलता है।

गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर लगाने से पलकों की सूजन कम होने लगती है. इसके अतिरिक्त दांत पर मलने से दांत संबंधी रोगों से निजात पाने में मदद मिलती है. गुलाब के अर्क को दो बूंद आंखों में डालने से आंखों के बीमारी में भी आमरा मिलता है।

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पेट संबंधी रोगों में 2.4 ग्राम गुलाब के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से कब्ज, अतिसार व दस्त में फायदा होता है.

घाव को जल्दी भरने व अच्छा करने में भी गुलाब सहायक है. गुलाब के फलों को पीसकर घाव के ऊपर डालने से घाव से बहता हुआ खून कम होने लगता है व घाव जल्दी सूखता है.

बुखार कम करने के लिए गुलकन्द का सेवन करने से पित्त ज्वर में फायदा होता है।

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बिच्छु के विष के प्रभाव को कम करने के लिए लाल गुलाब को पीसकर दंश जगह पर लगाने से दर्द कम होता है. सूजन से भी राहत मिलती है. ऐसे ही सांप के विष को कम करने के लिए गुलाब की जड़ को पीसकर सर्पदंश जगह पर लगाने से पीड़ा और सूजन कम होती है।

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