इस तरह की इंडियन कमांडो ट्रेनिंग को देख कर जोश से भर उठेगा आपका तन वदन जाने असलियत
इंडियन आर्मी कमांडो :-दोस्तों आज हम देखेंगे कि जो हमारे इंडियन आर्मी के पैरा कमांडोज होते हैं उनको कैसे तैयार किया जाता है । यह एक काफी मुश्किल और चुनौती भरा ट्रेनिंग होता है । पूरा जाने के लिए आर्टिकल जरुर पढ़ें ताकि आपको भी इंडियन आर्मी पर गर्व महसूस हो ।
इंडियन पैराकमांडो को इंडियन आर्मी के मिलेट्री स्क्वाड से भर्ती किया जाता है । कोई भी डायरेक्ट से पैराकमांडो में भर्ती नहीं हो सकता । जो लोग अभी इंडियन आर्मी में सर्विस दे रहे हैं , वही लोग सिर्फ इस पोस्ट के लिए एलिजिबल होते हैं । जो आर्मी पैरा कमांडो बनने के लिए इच्छुक होता है उसे एक फॉर्म भरके देना होता है । इसके बाद उन सब लोगों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है । ट्रेनिंग के समय उनको 36 घंटो के लिए बहुत ज्यादा स्ट्रेस यानी कि दबाव में रखा जाता है , ताकि पैराकमांडोज में भर्ती होने से पहले यह पता चल सके कि उन में कितनी सहनशक्ति है।
36 घंटे का दौर शुरू होता हैं एक 10 किलोमीटर कि मार्चिंग से। इन लोंगों को 30 किलो का भार अपने पीठ पे उठाके चलना होता हैं और साथ ही में हात में उनको एक राइफल दी जाती है , जो कि उनका पर्सनल वेपन होता है । 10 किलोमीटर उनको ये सब एक काफी मुश्किल और खड़तर मार्ग से लेके जाना होता है , और साथ में एक ऑफिसर हमेशा उनको ये उकसाता हैं कि कुछ नहीं पड़ा है यहा तुम वापस लौट जाओ। इससे उनके जज़्बे का टेस्ट लिया ज्याता है कि वो लोग अन्दर से कितना मजबूत है।
इंडियन पैराकमांडो को इंडियन आर्मी के मिलेट्री स्क्वाड से भर्ती किया जाता है । कोई भी डायरेक्ट से पैराकमांडो में भर्ती नहीं हो सकता । जो लोग अभी इंडियन आर्मी में सर्विस दे रहे हैं , वही लोग सिर्फ इस पोस्ट के लिए एलिजिबल होते हैं । जो आर्मी पैरा कमांडो बनने के लिए इच्छुक होता है उसे एक फॉर्म भरके देना होता है । इसके बाद उन सब लोगों को ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है । ट्रेनिंग के समय उनको 36 घंटो के लिए बहुत ज्यादा स्ट्रेस यानी कि दबाव में रखा जाता है , ताकि पैराकमांडोज में भर्ती होने से पहले यह पता चल सके कि उन में कितनी सहनशक्ति है।
36 घंटे का दौर शुरू होता हैं एक 10 किलोमीटर कि मार्चिंग से। इन लोंगों को 30 किलो का भार अपने पीठ पे उठाके चलना होता हैं और साथ ही में हात में उनको एक राइफल दी जाती है , जो कि उनका पर्सनल वेपन होता है । 10 किलोमीटर उनको ये सब एक काफी मुश्किल और खड़तर मार्ग से लेके जाना होता है , और साथ में एक ऑफिसर हमेशा उनको ये उकसाता हैं कि कुछ नहीं पड़ा है यहा तुम वापस लौट जाओ। इससे उनके जज़्बे का टेस्ट लिया ज्याता है कि वो लोग अन्दर से कितना मजबूत है।
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