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दुर्योधन, कर्ण और अपनी पत्नी को देख लिया था एक साथ फिर हुआ कुछ ऐसा

कौरवों में धृतराष्ट्र और गांधारी का सबसे बड़ा पुत्र था दुर्योधन, उसके अंदर घमंड और ईष्या कूट कूट के भरी थी। सिर्फ सत्ता नहीं बल्कि हर चीज पर उसे अपना ही अधिकार लगता था। ऐसा ही एक अधिकार उसने जमाया था काम्बोज के राज चंद्रवर्मा की बेटी भानुमति पर। भानुमति एक तेज तर्रार और सुंदर राजकुमारी थी।

जब दुर्योधन ने अपनी पत्नी भानुमति और ...

जब उसके विवाह का समय हुआ तो राजा ने एक स्वंयवर रचाया। जब भानुमति दुर्योधन के सामने आई तो माला नहीं पहनाया और आगे बढ़ गई। इस पर दुर्योंधन को बहुत बूरा लगा और उसने भानुमति का हाथ पकड़ाऔर खुद माला पहन लीं। ऐसी होता देख वहां सभी के हाथो में तलवार आ गई। दुर्योधन ने कहा कि अगर उन्हें युद्ध करना है तो पहले कर्ण से युद्ध करना होगा। कर्ण ने एक ही बार में सभी राजाओं को हरा दिया।
दुर्योधन की पत्नी का दिल आया था कर्ण ...

एक बार भानुमति अपने कमरे में कर्ण के साथ शतंरज का खेल खेल रही थी। इसमें कर्ण की जीत हो रही थी। यह खेल चल ही रहा था कि भानुमति को किसी के आने की आहच हुई। उसने देखा कि दुर्योधन कमरे की ओर बढ़ा जा रहा है वह तुरंत उठ खड़ी हुई। कर्ण कमरे की तरफ पीठ करके बैठा था उसे पता नहीं चला कि दुर्योधन के आने पर भानुमति खड़ी हुई है। उसे लगा हार के डर से भानुमति खेल अधूरा छोड़ रही है तो उसने तुरंत भानुमति का हाथ पकड़कर उसे बैठा दिया।

महाभारत की दुर्योधन और पत्नी ...

भानुमति के हाथ की जगह उसकी एक माला कर्ण के हाथ में टूटकर बिखर गई। दुर्योधन वहां आ पहुंचा। अब कर्ण औऱ भानुमति दोनों को डर लगने लगा कि कहीं दुर्योधन इस त का कोई गलत मतलब ना निकाल लें। दुर्योधन चाहे कितनी भी अधर्मी और पापी क्यों ना रहा हो उसे अपनी पत्नी और अपने मित्र पर पूरा यकीन था। उसने तुरंत कर्ण से हंसते हुए कि मित्र माला तो उठा लो और फिर जिस उद्देश्य से वह कमरे में आया था वह बातें करके चला गया।

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