शेरो शायरी के इतने गजब तराने आपने कभी देखें भी नही होंगे ,सच्चा प्यार करने बाले एक बार जरूर पढ़ें
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तुम्हारे खयाल भर से फिजा का यूँ रंगीन हो जाना
महज ये इत्तिफ़ाक़ नही है सबूत-ए-इश्क है ।
नशा था उनके प्यार का जिसमें हम खो गए,
हमें भी नहीं पता चला कि कब हम उनके हो गए ।
नज़रों से दूर सही दिल के बहुत पास है तू, बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में मेरे जीने की आस है तू।
मैंने उसे बोला ये आसमान कितना बड़ा है ना, पगली ने गले लगाया और कहा इससे बड़ा तो नहीं।
सपने तो बहुत आये पर, तुमसा कोई सपनों मे न आया। फिजा मे फूल तो बहुत खिले पर, तुमसा फूल न मुसकुराया।
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी है तीर की तरह, मगर खामोश रहता हूँ, अपनी तकदीर की तरह।
जिस किताब में औरत को पर्दा करने का हुक्म है,
उस किताब में मर्द को नज़रें नीचे करने का भी हुक्म है।
इश्क मोहब्बत तो सब करते हैं,गम-ऐ-जुदाई से सब डरते हैं,
हम तो न इश्क करते हैं न मोहब्बत,हम तो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने के लिए तरसते हैं।
इश्क तुझसे करती हूं मैं जिंदगी से ज्यादा मैं डरती नहीं मौत से तेरी जुदाई से ज्यादा चाहे,
तो आजमा ले मुझे किसी और से ज्यादा मेरी जिंदगी में कुछ नहीं तेरी मोहब्बत से ज्यादा।
रुठ जाओ कितना भी हम मना लेंगे, दूर जाओ कितना भी बुला लेंगे दिल,
आखिर दिल है सागर की रेत तो नहीं कि नाम लिखकर उसे मिटा देंगे।
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