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धर्म के नाम पर यहाँ बकरे की ही नही इस प्यारे से जानवर की भी दी जाती हैं ईद पर कुर्बानी


 ज्यादातर लोगों को यह मालूम होगा कि बकरीद पर बकरे के अलावा ऊंट की कुर्बानी देने का भी रिवाज है। हालांकि ऊंट की कुर्बानी का रिवाज देश और दुनिया के सिर्फ कुछ ही इलाकों में निभाया जाता है।




बकरे की कुर्बानी देने के पीछे एक कहानी है। यह कहानी अलैय सलाम नाम के एक आदमी से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि अलैय सलाम को एक दिन सपने में अल्लाह आए और उन्होंने सलाम से अपने बेटे इस्माइल को कुर्बान करने को कहा। सलाम ने अल्लाह की बात मान ली और अपने बेटे को छुरी लेकर कुर्बान लगे।




तभी अल्लाह के फरिश्तों ने इस्माइल को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया और अल्लाह ने सलाम के नेक जज्‍बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया। यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है। इसके बाद से ही अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं बल्कि जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया।


ऐसे बकरे को किया जाता है कुर्बान




जिस बकरे को कोई बीमारी ना हो, उसकी आंखें, सींघ या कान बिल्कुल ठीक हो, वह दुबला-पतला ना हो, जो बकरा स्वस्थ हो उसकी ही बलि दी जाती है। इसके अलावा अगर बकरा बहुत छोटी उम्र का हो तो भी उसकी बलि नहीं दी जा सकती।

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