IND vs AUS :- अब टीम इंडिया ने सिखाए 7 सबक
अब दौर बदल चुका है. टीम इंडिया (Team India) ने सबक सीखने के बजाए सिखाना शुरू कर दिया है. फिर क्यों न वो ऑस्ट्रेलिया
(Australia) ही हो. मौजूदा भारतीय टीम (India Team) ने तो उसे उसी के घर में मात दी. दांत खट्टे किए और सबक सीखने पर मजबूर किया. हालिया दौरे से टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को 7 सबक (7 lessons) सीखाकर लौटी है. ये वो 7 सबक हैं, जिसके बारे में हम ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया भी बात कर रहा है.
जी हां, ऑस्ट्रेलिया टेस्ट क्रिकेट की मजबूत टीम है. इस बात में दो राय नहीं. लेकिन, भारत के खिलाफ सीरीज गंवाने के बाद समीकरण बदल चुका है.
टेस्ट मैच जिताने वाला जितना बड़ा नायक होता है, बचाने वाला भी उतना ही बड़ा होता है. चेतेश्वर पुजारा टीम इंडिया के वैसे ही योद्धा हैं. टीम इंडिया की टेस्ट टीम के टॉप ऑर्डर की उनकी मौजूदगी के बिना कल्पना भी नहीं हो सकती. जबकि ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर में पुजारा जैसा सहारा देने वाला एक भी बल्लेबाज नहीं दिखा.
बड़े फैसले मतलब जीत के हौसले
भारतीय टीम ने अपने टीम सेलेक्शन में ईमानदारी बरती. बेहतर क्रिकेट की नुमाईश के लिए वो अपनी टीम में बदलाव को लेकर हिचकिचाया नहीं. फिर चाहे वो पहले टेस्ट में फेल हुए पृथ्वी शॉ को टीम से बाहर करने का फैसला हो या फिर शुभमन गिल को ओपनिंग में प्रमोट करने का.
हिम्मत से खुली किस्मत
ऑस्ट्रेलिया का दौरा करने वाली ज्यादातर टीमें डिफेंसिव होकर अपनी कब्र खुद ही खोदती हैं. लेकिन मौजूदा टीम इंडिया ने कंडीशन का फायदा उठाया और दिलेरी दिखाते हुए हमले की नीति अपनाई. उसके लिए अगर पुजारा ने एक छोर संभाला तो दूसरे छोर से गिल और दूसरे बल्लेबाजों ने स्कोर बोर्ड को बढ़ाने का काम जारी रखा.
फिट मतलब हिट होने की गारंटी
वो दौर अलग था जब भारतीय टीम वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे कम फिट टीमों में गिनी जाती थी. अब इस टीम में फिटनेस की काफी अहमियत है. खिलाड़ियों को टीम में जगह फिटनेस के तराजू में तौलकर दी जाती है. यही वजह रही कि ब्रिस्बेन में जरूरत पड़ने पर भारत की बेंच स्ट्रेंथ ऑस्ट्रेलिया का किला फतह करने में कामयाब रही.
विकेट की परवाह नहीं
ब्रिस्बेन पहुंचकर भारतीय टीम ने इस बात की परवाह नहीं की कि वहां की विकेट कैसी है. उसने ये भी नहीं सोचा कि ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलिया कितने सालों से नहीं हारा. बल्कि सिर्फ और सिर्फ अपने खेल पर फोकस किया. उसने अपनी जीत के बारे में सोचा. मतलब ये कि कंडीशन और विकेट कैसी भी हो, टीम इंडिया ने बताया कि हम अपने खेल पर कैसे फोकस कर सकते हैं.
बढ़िया होमवर्क , बेहतर रिजल्ट
अक्सर विदेशी टीमें टीम इंडिया के खिलाफ शॉर्ट बॉल को अपना हथियार बनाती हैं. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया इसके लिए अपना पूरा होमवर्क किए दिखी. भारतीय बल्लेबाजों ने अपने थ्रो डाउन स्पेशलिस्ट रघु के साथ नेट पर घंटों शॉर्ट बॉल खेलने का प्रयास किया, जिसका फायदा उन्हें मैच में मिला.
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