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वायुमंडल में पहली बार मिल रही हैं साफ-सुथरी हवा, जानिए वजह

वायुमण्डल में आया पहली बार गजब का सुधार
कोविड-19 महामारी के खतरे से निपटने के लिए चल रहे लॉकडाउन के दौरान  पूरे भारत मे कई राज्य व कई कस्बों और शहरों में वायु की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। लॉक डाउन के कारण यात्रा पर लगाए गए कड़े प्रतिबंध और वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों सहित गैर-आवश्यक गतिविधियों को बंद करने से यह सुधार हुआ है।

प्रदूषण फैलाने वाली हर फैक्ट्री पर ताला 
राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष पवन कुमार गोयल ने बताया कि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में परिवहन, उद्योग, बिजली संयंत्र, निर्माण गतिविधियां, बायोमास का जलना, डस्टरी-सस्पेंशन और अन्य आवासीय गतिविधियाँ सम्मिलित हैं।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जारी किए आंकड़े
मंडल जयपुर में तीन और अलवर, अजमेर, भिवाड़ी, जोधपुर, कोटा, पाली और उदयपुर में स्थित एक-एक कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के नेटवर्क के माध्यम से वायु गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है।

लॉकडाउन से पहले और बाद में नाटकीय अंतर
राज्य की वायु गुणवत्ता पर लॉकडाउन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए इन स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) और प्रमुख प्रदूषकों जैसे पीएम10 और पीएम2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे मापदंडों का संक्षिप्त विश्लेषण किया गया है। अध्ययन के लिए 15 से 21 मार्च की प्री-लॉकडाउन अवधि और 22 मार्च से 7 अप्रेल की लॉकडाउन अवधि के डेटा का उपयोग किया गया है।

अब सभी जगह का सूचकांक हुआ संतोषजनक
अध्ययन से निकले प्रमुख निष्कर्षों की जानकारी देते हुए गोयल ने बताया कि लॉकडाउन से राज्य में परिवेशी वायु गुणवत्ता में सुधार आया है। सभी स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अब संतोषजनक हो गया है, जो पहले खराब से संतोषजनक तक था। इन स्टेशनों पर एक्यूआई में 21 (शास्त्री नगर, जयपुर) से 68 (भिवाड़ी-रीको औद्योगिक क्षेत्र) फीसदी के बीच कमी आई है।


भिवाड़ी के एक्यूआई में सबसे ज्यादा सुधार
गोयल ने बताया कि भिवाड़ी में औद्योगिक गतिविधियों को बंद करने, वाहनों के आवागमन में कमी और सड़क की धूल के री-सस्पेंशन में भारी कमी होने के कारण एक्यूआई में अधिकतम सुधार देखा गया है। भिवाड़ी में पीएम10, पीएम2.5 और नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे प्रमुख प्रदूषकों के संदर्भ में भी लगभग 70 प्रतिशत कमी देखी गई है।

अन्य शहर में भी छंटा धूल का गुबार
अन्य शहरों में जहां वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत वाहनों से होने वाला प्रदूषण और सड़क की धूल का री-सस्पेंशन होने के कारण प्रमुख प्रदूषकों में 27 से 73 फीसदी तक की महत्वपूर्ण कमी देखी गई है। पीएम2.5 की कमी लॉकडाउन के बाद के दिनों में अधिक स्पष्ट है, 
जो लॉकडाउन के प्रभावी प्रवर्तन एवं ज्यादातर स्थानों पर परिवेश के तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप प्रदूषकों के बेहतर फैलाव के कारण हो सकता है।

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