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जब भटके आपका चंचल मन तो याद करें कृष्ण भगवान का अर्जुन को दिया गया वो ज्ञान

दोस्तों हमारा चंचल मन हवा की भांति इधर-उधर भागता रहता है और जब भी हम बड़ा काम करने जाते हैं तब हमारा मन हमारे साथ बहुत सारी समस्याए उत्पन्न कर देता है। हमारा मन हवा के भाती चंचल है यहां इधर-उधर भागता रहता है।


जिस प्रकार श्री कृष्ण भगवान ने गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया था की यहां मन इंद्रियों के घोड़ों को इधर-उधर भटकाता है कभी यौवन के आवेश में यही चंचल मन मनुष्य को इस भ्रम में डाल देता है कि केवल वही सर्वशक्तिमान है । वहां सब कुछ कर सकता है वहां यहां का राजा है जिसके आगे हर कोई झुक जाने को विवश है।

जिस तरह दीपक की बाती को दीपक तले छुपा अंधेरा दिखाई नहीं देता उसी तरह जवानी को उसके पीछे छुपा बुढ़ापा और कमजोरी दीखाई नहीं देती ।

इसी प्रकार दोस्तों हमारा मन चंचल घोड़े की भांति है जो इधर-उधर भटकता रहता है । इसे कंट्रोल करने के लिए हमें वैराग्य की तलवार की आवश्यकता हैं हमें हमारे मन पर वैराग्य की तलवार से वार करना पड़ेगा तभी हमारा मन हमारे कंट्रोल में हमारे नियंत्रण में आएगा ।

इसलिए इसे स्थिर करने के लिए हमें रोज सुबह उठकर ध्यान करना चाहिए।परमात्मा की ओर हमारा ध्यान एकत्रित करना चाहिए जिससे हमारा मन शांत होगा

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