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जानिए देशी घी से सबंधित बेहतरीन फायदे

घी, मक्खन को धीमी आंच पर गर्म करके उसमें से छाछ अलग करके निकाला जाता है। गाय और भैंस के दूध की मात्रा बकरी के दूध से कहीं अधिक होती है इसलिए गाय अथवा भैंस के ढूध का दही बनाकर उससे मक्खन निकाला जाता है। बता दें की गाय का मक्खन भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। मक्खन को धीमे-धीमे गर्म करके घी अलग किया जाता है।

देशी घी (गाय का घी पीला और भैंस के दूध से तैयार घी सफेद होता है।), घी का इस्तेमाल सर्व प्रथम पूजा का दीपक जलाने के लिए किया जाता है ताकि घर में किसी प्रकार का दोष न हो और सुखमय वातवरण बना रहे। धर्म ग्रन्थों में गाय का घी सबसे उत्तम बताया गया है जिसकी तासीर ठंडी होती है।

गाय का देशी घी अपेक्षाकृत अधिक महंगा होता है क्योंकि इसका प्रयोग अनेकों प्रकार की देशी दवाईयों के साथ किया जाता है यही नहीं बुजुर्गों अथवा बच्चों के लिए बनाए जाने वाले विशेष पकवान जहां तक संभव हो गाय के घी से ही बनाए जाते हैं। विशेष: यदि देशी घी में से छाछ पूर्ण रूप से निकाल दें तो घी में कभी स्मेल नहीं आती है तथा घी काफी समय तक सुरक्षित रहता है।

घी के अभाव में कुछ पकवान बनाना लगभग असंभव है जैसे हल्वा, परांठे आदि. घी सुपाच्य होता है तथा यह शरीर एक लिए ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत है जिसकी परत त्वचा के नीचे बनने से सर्दी कम लगती है। नियमित घी सेवन करने से चेहरे का तेज हमेशा बना रहता है किंतु एक शर्त पर की पाचन क्रिया पूर्ण रूप से दुरुस्त होनी चाहिए।

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